भारतीय संस्क्रति कर्म को गहरा आघात
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति आर्जित कर चुके रगकर्मी हबीब तन्वीर जी के निधन से भारत के सम्पूर्ण संस्क्रिति जगत को गहरा झट्का लगा है। विषेश रूप से भोपाल के रंग कर्म के लिये यह अपूर्णीय क्षति है। एक सितंबर, 1923 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्मे हबीब को उनके बहुचर्चित नाटकों 'चरणदास चोर' और 'आगरा बाजार' के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 'चरनदास चोर' नाम का नाटक लिखा, जो कि 18वीं सदी के शायर नज़ीर अकबराबादी पर आधारित था। नजीर मिर्जा गालिब की पीढ़ी के शायर थे।
हबीब ने एक पत्रकार की हैसियत से अपने करियर की शुरूआत की और रंगकर्म तथा साहित्य के क्षेत्र मे निरंतर योगदान देते रहे। अपनी यात्रा के दौरान उअन्होंने कुछ फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं तथा उनमें काम भी किया। रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' में भी उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी।
१९४५-४६ मे हबीब साहब रेडिओ मे भी काम किया। उन्होंने भोपाल में नए थिएटर की भी स्थापना की। भोपाल गैस त्रासदी पर बनी एक फिल्म में भी उनकी भूमिका है।
वे बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कलाकार थे। थिएटर की दुनिया पर उअन्हों ने एक अमिट छाप छोडी ।
बहुत ही दुखद......मेरी श्रधान्जली....
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