Tuesday, June 2, 2009

उपद्रवियों से शक्ति से निबटे सरकार


प्रशासन ऐसे तत्वों से शख्ती से पेश आएं
जिस क्षेत्र में घटना होती हैं वहाँ सार्वजनिक जुर्माना लगाने की व्यवस्था करे

कल जिस तरह से बिहार के खुसरूपुर में अदना सी बात पर चंद प्रदर्शनकारियों ने खेल-खेल में प्रशासन को अंगूठा दिखाते हुए ट्रेन के कई डिब्बों को आग के हवाले कर दिया वह एक अत्यंत ही शर्मनाक हादशा है। ऐसे अनेक उदाहरण आए दिन हमारे सामने आते रहते हैं जब साधारण सी बात पर चंद लोग हुर्दंग मचाते हुए गुस्से का इजहार करने हेतु राष्ट्रीय संपत्तियों पर बरबस टूट परते हैं और उन्हें भारी क्षति पहुँचाते हैं। निश्चय ही हुर्दंगियों में राष्ट्र के सुसंस्कृत नागरिक नहीं रहते। वे सभी गैर जिम्मेवार, अपसंस्कृति के पृष्ट पोषक और छुटभैये गुंडा तत्व होते हैं। ये वही तत्व होते हैं जो गाँव मुहल्लों के गलियों में चक्कर लगाने वाले तथा चौक-चौराहों, नुक्करों पर अड्डाबाजी करने वाले लोग होते हैं। ऐसे कुछ लोग हर प्रांत में होते हैं जो बात-बात पर इस तरह का गैर जिम्मेदाराना हर्कत करते हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे तत्वों से शख्ती से पेश आएं। राष्ट्रीय सम्पत्तियों की सुरक्षा हर कीमत पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ऐसे हरकतों से आम जन को घोर असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। अनेक लोगों को ऐसी स्थिति के कारण जीवन के कई महत्वपूर्ण अवसर खोना पड़ जाता है। जिसका कचोट जीवन पर्यंत रह जाता है। कई बीमार जो इलाज हेतु यात्रा कर रहे होते हैं उन्हें ऐसे हो-हंगामा के कारण जीवन मरण के बीच संघर्ष करना पड़ता है। कई छात्र परीक्षा देने जा रहे थे, कई नवयुवक नौकरी मे यगदान देने जा रहे थे, कितने लोग सादी के लिये जा रहे थे। अनेक कार्यों से अनेक लोग घर से निकले थे सफर में सबों को घोर परेशानी का सामना करना पडा।
सरकार को चाहिए कि जिस क्षेत्र में इस तरह की घटना होती हैं वहाँ सार्वजनिक जुर्माना लगा कर राष्ट्रीय क्षति की भरपाई की व्यवस्था करे साथ ही प्रशासन द्वारा ऐसे उदाहरण पेश किए जाने चाहिए जिससे ऐसे हर्कत करने से पूर्व गुंडा तत्व सौ बार सेाचें। टीवी चैनलों तथा पास परोस में इकट्ठे प्रत्यक्ष दर्शियों से इस असमाजिक तत्वों का शिनाख्त कर उनपर शख्त से शख्त कानूनी कारवई किया जाना आवश्यक है। आखिर राष्ट्रीय सम्पत्ति जो आम जन के पैसों से बना है उसकी सुरक्षा में ढील और लापरवाही बरतना घोर असंवैधानिक कारवाई है। इसी ढील के कारण ऐसे वारदात घटित होते हैं। प्रजातंात्रिक प्रणााली के उपर एक काला धब्बा है। ऎसी स्थिति में सरकार को कभी नही झुकना चाहिए। निर्णय वापस लेना सरकार की बरी भूल है।

4 comments:

  1. kalanath ji bahut acche vichar hai hai aur yaisa hona chahiye par hota kahan hai aur sarkaar ki aap baat hi naa kare sarkaar to khud yaise kesh chahti hai jiske bahane vo apni rajnitik rotiya sek sake rail mantraly me mamta ji kaa kun sa daman saf hai unhono tata plant me kucch kam nahi kiya vaise jarurat hai yaise lekho ki

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  2. बहुत ही सामयिक पोस्ट ।

    एक जागता हुआ इंसान हर जगह डिमाण्ड में है और सप्लाई कम है। लिखते रहें। ढेर सी शुभकामनाएँ।

    word verification रखा हो तो हटा दें। यह सुधी पाठकों को कष्ट देता है।

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  3. jee bilkul shat pratishat sach likhaa hai....magar kya karein sarkaar aur prashaashan bahut se wo kaam nahin kartee jo use karne chaahiye...jantaa bhee aawesh mein aakar ye nahin samajhtee ki antatah nuksaan khud unkaa hee hai....

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